Ekambareswar Jyotirlinga Mandir – तमिलनाडु का पंचभूत शिव धाम | Itihas, Mahatva, Darshan aur Yatra Guide
परिचय – पृथ्वी तत्त्व के प्रतीक प्राचीन शिवधाम की कहानी
तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित एकाम्बरेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर दक्षिण भारत के सबसे प्राचीन और प्रतिष्ठित शिव मंदिरों में से एक है। यह मंदिर पंचभूत शिवालयों में से एक है और पृथ्वी तत्त्व का प्रतिनिधित्व करता है।
कांचीपुरम को “मंदिरों का नगर” कहा जाता है और एकाम्बरेश्वर मंदिर वहां का सबसे बड़ा और प्रमुख तीर्थस्थल है। इसका ऐतिहासिक वैभव, धार्मिक परंपरा और आध्यात्मिक वातावरण श्रद्धालुओं को विशेष रूप से आकर्षित करता है।
धार्मिक महिमा और आध्यात्मिक महत्व
- यह मंदिर शिव के पृथ्वी स्वरूप की आराधना का केंद्र है।
- पंचभूत लिंगों में यह प्रिथ्वी लिंग के नाम से प्रसिद्ध है।
- यहाँ भगवान शिव और माता पार्वती की तपस्या और पुनर्मिलन की कथा जुड़ी हुई है।
- मंदिर को तमिल शैव सिद्धांतों के केंद्र के रूप में भी माना जाता है।
- इसे 12 ज्योतिर्लिंगों में औपचारिक स्थान नहीं मिला है, फिर भी इसकी प्रतिष्ठा और धार्मिक ऊर्जा किसी भी ज्योतिर्लिंग से कम नहीं मानी जाती।
पौराणिक कथा – पार्वती का तप और शिव का प्रकट रूप
एक प्राचीन कथा के अनुसार, देवी पार्वती ने एक बार अनजाने में भगवान शिव की तपस्या में विघ्न डाल दिया था। इस पर शिव ने उन्हें पृथ्वी पर जाकर तप करने का निर्देश दिया।
देवी पार्वती ने कांचीपुरम में एक स्थान चुना, जहाँ उन्होंने मिट्टी से शिवलिंग बनाकर कठिन तपस्या की। उन्होंने शिवलिंग को मंगला नदी के तट पर स्थापित कर निरंतर पूजन किया। जब नदी में बाढ़ आई, तब उन्होंने अपने शरीर से शिवलिंग को ढँक लिया ताकि वह सुरक्षित रहे।
उनकी भक्ति और समर्पण से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उन्हें क्षमा कर अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार कर लिया।
यही स्थान आज “एकाम्बरेश्वर” नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है – एक वस्त्र धारण करने वाले ईश्वर।
पूजा परंपराएं और धार्मिक अनुष्ठान
मिट्टी से बना पवित्र शिवलिंग
यहाँ स्थित शिवलिंग मिट्टी से बना हुआ है, अतः उस पर जल, दूध या अन्य द्रवों का अभिषेक नहीं किया जाता। केवल फूल, चंदन और बेलपत्र अर्पित किए जाते हैं।
विशेष दिन – मंगलवार और प्रदोष
इन दिनों मंदिर में विशेष पूजा, रुद्राभिषेक और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन होता है।
महाशिवरात्रि महोत्सव
महाशिवरात्रि के अवसर पर मंदिर में विशेष रात्रि जागरण, भजन संध्या, और दीप आराधना होती है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
सदियों पुरानी पूजा प्रणाली
यह मंदिर 1000 से अधिक वर्षों से अस्तित्व में है, और आज भी यहाँ की पूजा विधियाँ पारंपरिक तमिल अगम शास्त्रों पर आधारित हैं।
आरती और दर्शन का समय
समय | विवरण |
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प्रातः दर्शन | सुबह 6:00 बजे से |
दोपहर विश्राम | 12:30 PM से 4:00 PM तक |
संध्या दर्शन | 4:00 PM से 8:30 PM तक |
विशेष आरती | सुबह 6:30 और शाम 6:30 बजे |
विशेष पर्वों और सोमवार को दर्शन के लिए भीड़ अधिक रहती है, इसलिए योजना बनाकर ही यात्रा करें।
यात्रा गाइड – कैसे पहुँचे, कहाँ ठहरें
स्थान
- पता: एकाम्बरेश्वर मंदिर, पेरिया कामाक्षी अम्मन कोइल स्ट्रीट, कांचीपुरम, तमिलनाडु – 631502
रेल मार्ग
- निकटतम रेलवे स्टेशन: कांचीपुरम रेलवे स्टेशन (1.5 किमी)
- चेन्नई, वेल्लोर, तिरुपति, त्रिची से ट्रेन उपलब्ध
हवाई मार्ग
- निकटतम हवाई अड्डा: चेन्नई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (65 किमी)
- हवाई अड्डे से टैक्सी या बस द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है
सड़क मार्ग
- चेन्नई से NH48 हाईवे के माध्यम से सीधी यात्रा संभव
- राज्य परिवहन की नियमित बस सेवा उपलब्ध
ठहरने की सुविधा
- मंदिर ट्रस्ट द्वारा संचालित धर्मशालाएं
- बजट होटल (500 से 1500 रुपये)
- 3-स्टार होटल, गेस्ट हाउस
- ऑनलाइन बुकिंग: MakeMyTrip, Goibibo, Booking.com
FAQs – श्रद्धालुओं के सामान्य प्रश्न
प्रश्न 1: क्या मंदिर में शिवलिंग पर अभिषेक किया जाता है?
उत्तर: नहीं, यहाँ का शिवलिंग मिट्टी से बना है। इसलिए केवल पुष्प, चंदन और बेलपत्र अर्पित किए जाते हैं।
प्रश्न 2: क्या महिलाएं गर्भगृह में प्रवेश कर सकती हैं?
उत्तर: हाँ, महिलाएं मंदिर में प्रवेश कर सकती हैं, परंतु मासिक धर्म के समय प्रवेश वर्जित होता है।
प्रश्न 3: क्या विशेष पूजा के लिए बुकिंग आवश्यक है?
उत्तर: हाँ, रुद्राभिषेक और अन्य विशेष पूजाओं के लिए पहले से मंदिर ट्रस्ट के माध्यम से बुकिंग करानी होती है।
प्रश्न 4: क्या मंदिर में फोटोग्राफी की अनुमति है?
उत्तर: नहीं, मंदिर परिसर में मोबाइल और कैमरा का प्रयोग सीमित और गर्भगृह में निषिद्ध है।
निष्कर्ष – शिव भक्ति, ऊर्जा और शांति का अनमोल संगम
एकाम्बरेश्वर मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक चेतना केंद्र है, जहाँ देवी पार्वती की भक्ति और शिव की करुणा एकाकार होती है। यहाँ आकर श्रद्धालु आत्मिक शांति, शक्ति और भक्ति का गहन अनुभव करते हैं।
यदि आप भगवान शिव की कृपा और पंचभूत तत्वों की दिव्यता को अनुभव करना चाहते हैं, तो कांचीपुरम स्थित एकाम्बरेश्वर मंदिर की यात्रा आपके लिए अविस्मरणीय सिद्ध होगी।